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प्रणेय सागर जी महाराज के सानिध्य में विदुषी श्री माताजी का 28 वा दीक्षा दिवस धार्मिक पूजा अर्चना के साथ मनाया गया

100 नवयुगल जोड़ो ने सोला पहनकर महाराज जी व माताजी का किया आहार के लिए किया पड़गाहन

एडिटर/संपादक/तनीश गुप्ता,खण्डवा

प्रणेय सागर जी महाराज के सानिध्य में विदुषी श्री माताजी का 28 वा दीक्षा दिवस धार्मिक पूजा अर्चना के साथ मनाया गया

100 नवयुगल जोड़ो ने सोला पहनकर महाराज जी व माताजी का किया आहार के लिए किया पड़गाहन

 

खंडवा।। नवकार नगर स्थित आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर प्रांगण में मुनि श्री 108 प्रणेय सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में आचार्य विरागसागर जी महाराज की सुशिष्या गणिनी आर्यिका विदुषी श्री माताजी का 28 वा दीक्षा दिवस धार्मिक उत्साह और संगीत मय भजनों के बीच मनाया गया। समाज के सचिव सुनील जैन ने बताया कि कार्यक्रम के शुभारंभ में आचार्य श्री विरागसागर जी एवं विशुद्ध सागर जी महाराज की भक्तिमय पूजन से हुई।इस दौरान संगीतकार रॉबिन जैन इंदौर के सुमधुर भजनों पर विभिन्न मंडलो द्वारा सुंदर भक्तिमय मंगलाचरण प्रस्तुत किया। एवं आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज के पूजन में अलग-अलग मंडलों ने अध्यृ चढाएं,100 नवयुगल जोड़ो ने सोला पहनकर महाराज जी व माताजी का आहार के लिए किया गया पड़गाहन यह दृश्य खंडवा जैन समाज के लिए अलौकिक था।मुनि श्री 108 प्रणेय सागर जी महाराज एवं आर्यिका 105 विदुषी श्री माताजी को आहार कराने का सौभाग्य अजय पाटनी परिवार को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर मुनि श्री प्रणेय सागर जी ने विदुषी श्री माताजी को जिनवाणी भेंट की और आशीर्वाद प्रदान किया।इस अवसर पर मुनि श्री प्रणेय सागर जी महाराज ने संबोधित करते हुए कहा कि आज का दिन बहुत ही शुभ है क्योकि की हम जिस कॉलोनी में बैठे उसका नाम भी नवकार है ,दूसरा आज पूरा विश्व नवकार दिवस मना रहा है और तीसरा आज दिन भी 9 तारीख है आज हम भावी सिद्ध बनने वाले जीव का दीक्षा दिवस मना रहे है उनका नाम है विदुषी श्री।अपने जीवन मे आदर्श मय बनाओ आपके जीवन मे आदर्श होगा तो आप लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है।आप सभी अपना एक आदर्श बनाओ की मैं जहा भी जाऊ वहा जिन धर्म की प्रभावना करू।
मुनि श्री सर्वार्थ सागर जी महाराज ने संबोधित करते हुए कहा कि गुरु के उपकारों को ऐसा कोई शिष्य नही है जो शब्दों से बयान कर पाए और जब शब्दों से बयान नही कर पाता है तो उसकी आँखे झलक जाती है।महाराज जी ने कहा की खण्डवा में आकर हमने क्या सीखा तो बोले हम जब छोटे थे हमने सीखा की गर्मी कहा होती है हमे बताया गया कि गर्मी जून के महीने में होती है जब और बड़े हुए तो हमे पता चला कि गर्मी उन(ऊनि कपड़े) में हुआ करती है,जब और बड़े हुए तब हमें पता चला कि गर्मी खून में हुआ करती है,मगर हमने जब खंडवा में प्रवेश किया जब पता लगा कि ना तो गर्मी जून में हुआ करती है,ना तो गर्मी उन में हुआ करती है,ना तो गर्मी खून में हुआ करती है,यदि गर्मी होती है तो जुनून में हुआ करती है।
मुनि श्री सौम्य सागर जी महाराज ने संबोधित करते हुए कहा कि हम ना किसी को तेरह पंथी मानते ना बीस पंथी मानते है ना सोनगड़ी किसी को मानते भगवान आत्मा ही सभी को मानते है और जो भगवान आत्मा सभी को मानता है उसी की उत्कृष्ट समाधि हो सकती है।माताजी का सौभाग्य है कि आचार्य श्री समाधि के पहले माताजी की गणिनी पद घोषित करके गए। श्रमणी आर्यिका 105 विदुषी श्री माताजी ने अपने 28 वे दीक्षा दिवस के अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि आज का दिन हमारा दिन नही आज का दिन गुरु का दिन है गुरु के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का दिन है।गुरु और शिष्य का रिश्ता निर्मल पावन और पवित्र होता है,संसार के रिश्ते में तो स्वार्थ होता है लेकिन गुरु और शिष्य के रिश्ते में कोई स्वार्थ नही होता है।माताजी ने कहा कि राई को पहाड़ कहा जा सकता है ,बून्द को सागर कहा जा सकता है,झोपड़ी को महल कहा जा सकता है,किसी के चेहरे को चांद कहा जा सकता है,किसी के प्रताप को देखकर सूर्य की उपमा दी जा सकती है,शिष्य को भी गुरु कहा जा सकता है,लेकिन गुरु को क्या कहें गुरु तो अनंत हुआ करते है।गुरु के दर्शन से निज का एहसास होता है। मुनि सेवा समिति के प्रचार मंत्री सुनील जैन प्रेमांशु चौधरी ने बताया कि इस अवसर पर पूज्य मुनि श्री ससंघ एवं आर्यिका माताजी ससंघ के पाद प्रक्षालन करने का सौभाग्य विजय सेठी परिवार एवं श्रीमती संगीता राजेन्द्र चांदमल जैन परिवार को प्राप्त हुआ एवं जिनवाणी भेंट करने का सौभाग्य अशोक, कैलाश, अनिल पहाड़िया परिवार एवं संजय जैन एमपीइबी परिवार को प्राप्त हुआ।कार्यक्रम का शानदार संचालन प्रदीप जैन ने किया।इस अवसर पर विजय सेठी, पंकज छाबड़ा,वीरेंद्र भटयांण,दिलीप पहाड़िया,राजेन्द्र छाबड़ा,कैलाश पहाड़िया,अविनाश जैन,प्रेमांशु चौधरी,सुनील जैन,सुलभ सेठी,तरुण गंगवाल अजय पाटनी,अर्पित जैन,विपुल जैन,पवन जैन सहित बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित थे।

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